Sahjan Ki kheti Ki Jankari

Sahjan Ki kheti Ki Jankari | सहजन की खेती कैसे करें | सहजन की खेती का तरीका | सहजन की खेती से लाखों कैसे कमाएं |

Sahjan Ki kheti Ki Jankari Ki Jankari In HIndi :- भारत का खेती से जुड़ाव काफी वर्षों पुराना है भारत को वैसे तो अलग-अलग चीजों की वजह से जाना जाता है, जैसे भारत की संस्कृति, भारत की भाषाएं, यहां रहने का तरीका लेकिन भारत की एक पहचान खेती भी है भारत में बड़े पैमाने पर खेती की जाती है और लगभग परिवार का कोई न कोई सदस्य खेती से जुड़ा जरूर होता है। अब आप यह सोच रहे होंगे कि हम आपको यह सब जानकारी क्यों दे रहे हैं दरअसल आज अपने इस लेख के माध्यम से हम आपको एक ऐसी खेती के बारे में बताने वाले हैं जिसे बहू वर्षीय सब्जी देने वाले पौधे के रूप में जाना माना जाता है।

आज हम अपने आर्टिकल के माध्यम से आपको बताएंगे कि सहजन का पौधा किस तरह से लगाया जाता है इसका इस्तेमाल सब्जियों में किस तरह से किया जाता है और इन सबके अलावा सहजन के पौधों के क्या क्या लाभ है। इन सभी के बारे में आपको जानने का मौका मिलेगा तो अगर आपको खेति मे रुचि है तो आपको हमारा आज का लेख जरूर पढ़ना चाहिए इससे आपको काफी जानकारी मिलने वाली है।

विषय- सूची

सहजन का पेड़ क्या होता है ?

भारत में सहजन को कई नमो से जाना जाता है. इसे इसका सबसे प्रचलित नाम मुनगा भी है | गांव में सहजन का पौधा अधिकतर लगाया जाता है, सजन के पौधे की सबसे बड़ी खासियत यह होती है कि, इसको ज्यादा देखभाल की आवश्यकता नहीं होती है. अगर आप बाकी सब्जियों की बात करे तो उसके लिए आपको काफी देखभाल करनी पड़ती है, और काफी ध्यान रखना पड़ता है. लेकिन सहजन के पौधे के लिए आपको ऐसा नहीं करना पड़ता है। वर्ष में एक बार ठंड के मौसम में उसके फल का उपयोग सब्जि बनाने के लिए किया जाता है. अगर आप दक्षिण भारत में कहीं रहते हैं तो आप बेहतर ढंग से सहजन के बारे में जानते होंगे, क्योंकि वहां पर बड़ी मात्रा में सहजन लगाई जाती है।

जो लोग किसानी करते हैं वह सहजन के पौधे ज़रूर लगाते हैं, इसके 2 बड़े कारण हैं सबसे पहला बड़ा कारण यह है कि इसके लिए आपको ज्यादा देखभाल की आवश्यकता नहीं होती और दूसरा बड़ा कारण है कि बाजार में आपको अच्छा मूल्य मिलता है, क्योंकि सहजन के पत्ते, फूल और फल का इस्तेमाल अलग अलग तरीके से अलग अलग सब्जियों को बनाने के लिए किया जाता है। यह एक औषधीय गुण का पौधा है. इसमें प्रचुर मात्रा में पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं.

क्या है सेहजन की खेती (Sahjan Ki Khrti Ki Jankari In Hindi)

सहजन के पौधे के बारे में हम आपको थोड़ी जानकारी देना चाहेंगे, सहजन का पौधा लगभग 10 मीटर ऊंचा होता है यह छोटी-छोटी पतियों के साथ मिलकर बनता है, सहजन के पौधे की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे आप कमजोर जमीन पर भी लगा सकते हैं और यह सालों साल कमजोर जमीन पर भी हरा-भरा नजर आता है।

मुनगा (सहजन) के पौधे का वानस्पतिक नाम मोरिंगा ओलीफेरा है, इसे मोरिंगसाय परिवार के सदस्य के रूप में भी जाना जाता है, सहजन की खेती वर्ष में दो बार की जाती है और जो भी किसान खेती करता है वह सहजन जरूर लगाता है क्योंकि सहजन एक ऐसा पौधा है जिसको अधिक देखभाल की आवश्यकता नहीं होती है आप उसे लगाकर छोड़ सकते हैं और कुछ समय बाद उससे फल, फूल प्राप्त कर सकते हैं उनका अलग-अलग तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है यही नहीं इन सब को बाजार में बेचा भी जाता है और उससे किसान अच्छा मुनाफा भी कमाते हैं।

सहजन की खेती किस तरह से की जाती है ? ( Sahjan Ki Kheti Kaise Kare )

अब तक आप बेहतर ढंग से समझ चुके होंगे कि सहजन का पौधा क्या होता है और इस से क्या-क्या चीजें प्राप्त की जा सकती है और उनका इस्तेमाल की अलग-अलग तरीकों से किस तरह से किया जाता है, तो आइए अब जानते हैं कि सहजन की खेती किस तरह से की जाती है इसके लिए आपको किन किन बातों को ध्यान में रखना है और इसके लिए जरूरी तापमान कितना है,

मुनगा (सहजन) की खेती के लिए जरूरी तापमान 25 से 30 डिग्री के बीच में माना जाता है इससे अधिक अगर तापमान रहेगा तो आपको परेशानी हो सकती है और यही कारण है जो ठंड के मौसम में इस पौधे को लगाया जाता है, जब इनके पौधों में फूल आने शुरू हो जाते हैं उस समय में भी तापमान का आप के पौधे के अनुकूल होना जरूरी है क्योंकि जब पौधे पर फूल आते हैं और तापमान 40 या 50 डिग्री के आसपास होगा तो वह झड़ने लगेगा इसलिए फूलों का इस्तेमाल करने के लिए तापमान 40 डिग्री से कम होना जरूरी है।

सहजन की खेती के लिए आपको किसी विशेष तरह की जमीन या मिट्टी की भी आवश्यकता नहीं होती यहां तक कि अगर आप की जमीन बंजर है उसके बावजूद भी आप उस पर सहजन की खेती कर सकते हैं और उससे फल और फुल प्राप्त कर सकते हैं।

किस तरह से

किस तरह से सहजन का खेत तैयार किया जाता है ?

सहजन की खेती में पौधों को लगाने के लिए थोड़ी थोड़ी दूरी पर गड्ढे करने पड़ते हैं उससे पहले खेत को अच्छी तरह से जुताई कर खरपतवार को साफ किया जाता है, और ढाई ढाई मीटर की दूरी पर गड्ढे किए जाते हैं यह गड्ढे लगभग 45 सेंटीमीटर के होते हैं। हम आपको यह बताना चाहेंगे कि उन गड्ढों को भरने के लिए मिट्टी के साथ-साथ 10 किलोग्राम सड़ी गोबर की खाद का भी इस्तेमाल किया जाता है. ताकि खेत पौधों की रोपाई के लिए पूरी तरह से तैयार हो सके।

पौधों की सिंचाई कैसे करें ?

वैसे तो सहजन की खेती करने के लिए आपको ज्यादा ध्यान नहीं देना पड़ता है लेकिन सिंचाई इसका एक अहम भाग है, सहजन के पौधों से अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए सिंचाई करना लाभदायक होता है, इससे गड्ढों में हमेशा नमी बनी रहती है लेकिन हम आपको यह बताना चाहेंगे कि जब सहजन के पौधों पर फूल आने शुरू हो जाते हैं उस समय आपको ना तो ज्यादा मिट्टी में नमी की आवश्यकता होती है और ना ही ज्यादा सुखेपन की ऐसी स्थिति में आप को बिल्कुल मिट्टी को पौधों के अनुकूल रखना होगा ताकि फूल ना झड़े, इसलिए सहजन के पौधों पर फूल आने से पहले आपको सिंचाई करना जरूरी है लेकिन जब एक बार पौधों पर फूल आने शुरू हो जाए उसके बाद आपको इस चीज का ध्यान रखना है कि पानी से मिट्टी में नमी ज्यादा ना हो जाए।

सहजन (मुनगा) का कीट रोग से नियंत्रण कैसे करें ?

सहजन के पौधों को सबसे ज्यादा जिस चीज से खतरा होता है वह कीड़े होते हैं यह कीड़े पौधों को पूरी तरह से नष्ट कर देते हैं और यह पौधों की पत्तियों और फूलों को खाकर फसल को पूरी तरह से बर्बाद कर देते हैं इसलिए कीट रोग नियंत्रण होना बहुत आवश्यक है इसके लिए आप डाईक्लोरोवास दवा का इस्तेमाल कर सकते हैं इससे कीड़ों का खतरा कम हो जाएगा और अगर कीड़े रहेंगे भी तो वह मर जाएंगे। इस दवा का इस्तेमाल करने के लिए आपको करना यह है कि 0.5 मि.ली. की मात्रा को 1 लीटर पानी में मिलाकर इसको तैयार करना है और उसे पौधों पर छिड़कना है, जब आप ऐसा करेंगे उसके बाद कीड़ों का खतरा कम हो जाएगा और आप की फसल बची रहेगी।

कब होती है सहजन के फलों की पैदावार ?

सहजन के उन्नत किस्म के वर्ष में दो तरह के फल देते हैं साथ ही हम आपको बताना चाहेंगे कि इन फलों की तोड़ाई फरवरी से मार्च के महीने में की जाती है और उसके बाद सितंबर और अक्टूबर के महीने में की जाती है। सहजन का हर पौधा वर्ष में लगभग 40 से 50 किलो की पैदावार करता है, जिससे खेती करने वाले को बहुत लाभ होता है और यही कारण है जितने भी किसान खेती करते हैं वह सहजन की खेती जरूर करते हैं क्योंकि बाजार में इनका अच्छा मूल्य भी मिल जाता है।

सहजन से लाखों कैसे कमाए ?

यदि आप सहजन की खेती को व्यवस्थित और सुनियोजित तरीके से करते हैं, तो आप इससे काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. क्योंकि ऐसा पौधा है जिसके सभी अंग बिकते हैं. आप इसके हल फूल यहां तक की पत्तियों को भी बेच कर पैसे कमा सकते हैं. इसमें कोई भी चीज व्यर्थ नहीं जाती आपको पौधे के हर हिस्से के पैसे मिलते हैं. एक अच्छा सर्जन का पौधा लगभग 40 से 50 किलो फल देता है.

देखिये कैसे एक किसान मुनगा की खेती से लाखो कमाता है

मुनगा (सहजन) की खेती से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न

सहजन को और किस नाम से जाना जाता है ?

सहजन को ड्रमस्टिक और मुनगा के नाम से भी जाना जाता है.

सहजन का पौधा कितने दिनों में उगता है ?

सहजन का पौधा लगभग 10 से 12 दिनों में उगना शुरू हो जाता है.

एक सहजन का पेड़ कितना फल देता है ?

एक अच्छा सहजन का पेड़ लगभग 40 से 50 किलो फल प्रतिवर्ष देता है.

सहजन की खेती के लिए उपयुक्त औसत तापमान कितना होना चाहिए ?

सहजन की खेती के लिए उपयुक्त औसत तापमान 25 से 30 डिग्री सेल्सियस होता है.

सहजन का पौधा फल कितने दिनों में देता है

सहजन के पौधे में लगभग 3 से 4 महीने में फूल आ जाते हैं और 5 से 6 महीने में फल देना शुरू हो जाता है.

1 एकड़ में सहजन के कितने पौधे लगाए जा सकते हैं ?

1 एकड़ में लगभग 1300से 1500 पौधे लगाए जा सकते हैं ?

यह भी पढ़ें:-

अगर आपने भी अब से पहले Sahjan Ki kheti के बारे में बहुत सुना है या फिर आप इसके बारे में जानकारी इकट्टा करना चाहते थे तो हम उम्मीद करते हमारे आज के लेख को पढ़ने के बाद आपको सहजन की खेती के बारे में काफी जानकारी मिल गई होगी,  इस आर्टिकल में हमने आपको सहजन की खेती के बारे में विस्तार से बताने का प्रयास किया है हमने बताया है कि सहजन की खेती किस तरह से की जाती है, इसके लिए आपको किन किन चीजों की आवश्यकता होती है और किस तरह की मिट्टी सहजन की खेती के लिए अनुकूल होती है। इन सभी के बारे में आज हमने विस्तार से विचार किया है हम उम्मीद करते हमारा आज का लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आपको हमारे लेख से कुछ जानकारी प्राप्त हुई है तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी जरूर साझा करें ताकि उन तक भी यह जानकारी पहुंच सके।

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *