Mushroom Ki Kheti Kaise Karen In India In Hindi

Mushroom Ki Kheti Kaise Karen In India In Hindi | जाने कम पैसे और कम जगह में मशरूम की खेती शुरू कर पैसे कैसे कमा सकते हैं |

क्या आप कुछ नया व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं. या फिर आप पारंपरिक खेती से हटकर कुछ अलग करना चाहते हैं. तो यह पोस्ट आपके लिए बहुत ही खास होने वाली है. यदि आप की शान है तो आप यह बात बहुत अच्छी तरह से जानते हैं, की पारंपरिक खेती में मुनाफा बहुत कम होता जा रहा है और जोखिम भी बढ़ता जा रहा है. इसी के विपरीत जो लोग पारंपरिक खेती से हटकर कुछ नया करते हैं. उन्हें हमेशा कुछ नया करने की चाहत होती है. आज इस पोस्ट (Mushroom Ki Kheti Kaise Karen In India In Hindi) में हम आपको मशरूम की खेती के बारे में बताएंगे. जिसे आप बहुत कम संसाधन में भी शुरू कर अच्छा पैसा कमा सकते हैं.

भारत में उगाई जाने वाली मशरूम की प्रजातियां

वैसे तो देखा जाए तो विश्व में मशरूम की हजारों प्रजातियां पाई जाती हैं लेकिन इन प्रजातियों में लगभग 60 से 70 प्रजाति ही ऐसी हैं जो कि खेती करने के योग्य होती हैं। अगर हम भारतीय जलवायु की बात करें तो हमारे देश के वातावरण में मुख्य रूप से 5 प्रजातियां ही ऐसी हैं। जिनका हम आसानी से खेती कर सकते हैं इनमें से दो प्रजाति तो बेहद ही प्रसिद्ध है जो की निम्नलिखित दी गई है।

  1. सफेद बटन मशरुम
  2. ढींगरी (ऑयस्टर) मशरुम
  3. दूधिया मशरुम
  4. पैडीस्ट्रा मशरुम
  5. शिटाके मशरुम

सफेद बटन मशरुम

नई तकनीकीयों के विकास व भारत सरकार के प्रोत्साहन से भारत में पहले निम्न तापमान वाले स्थानों पर की जाने वाली सफेद बटन मशरूम की खेती अब लगभग सभी जगहों पर की जा रही है। सफेद बटन मशरूम के कवर की जाल के लिए लगभग अनुकूल ताप 25 डिग्री सेल्सियस होता है। जो कि कवक जाल को फैलने में मदद करता है जब जाल पूरी तरीके से फैल जाता है। तब 15 से 18 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है। सफेद बटन मशरूम को हवादार कमरे व झोपड़ी आदि में भी उगाया जा सकता है।

facts about mushrooms

ढींगरी (ऑयस्टर) मशरुम

2.5 से 3 महीने में तैयार होने वाले आयस्टर मशरूम की खेती भारत में लगभग हमेशा की जा सकती है। इसके लिए आवश्यक तापमान की जरूरत है 20 से 30 डिग्री सेल्सियस होती है तथा सापेक्षिक आर्द्रता की बात करें तो 70 से 90% आवश्यक होती है हालांकि आयस्टर मशरूम के अलग-अलग प्रजातियों के लिए अलग-अलग तापमान की आवश्यकता पड़ सकती है। इस प्रजाति के मशरूम को उगाने के लिए गेहूं या धान की भूसी की आवश्यकता होती है इस प्रजाति के मशरूम को 10 कुंटल की मात्रा में उगाने के लिए लगभग 50000 का खर्चा आ सकता है जोकि ₹120 प्रति किलोग्राम से लेकर के 1000 रुपए प्रति किलोग्राम तक के भाव बेचा जा सकता है।

दूधिया मशरुम

बड़े व आकर्षक आकार वाले दूधिया मशरूम को भारत देश में ग्रीष्मकालीन मशरूम के रूप से जाना जाता है। वैसे तो मशरूम के इस प्रजाति की खेती पश्चिम बंगाल में सुरू हुई लेकिन बाद में कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश, जैसे राज्यों में भी देखने को मिली हालांकि भारत के कुछ राज्यों में इस प्रजाति की जगह पैड़ी स्ट्रॉ मशरूम की प्रजाति ने ले रखी है। इसकी खेती भी ज्यादा मात्रा में की जाने लगी है। क्योंकि भारतीय जलवायु में मार्च से अक्टूबर तक दूधिया मशरूम की खेती की जाती है। अब लगभग भारत के हर क्षेत्र में दूधिया मशरूम की खेती की संभावनाऐं तलाशी जा रही हैं। सफेद बटन मसरूम की तरह इस प्रजाति को भी लोकप्रिय बनाने की कोशिशें की जा रही हैं।

पैडीस्ट्रा मशरुम

पैडीस्ट्रा मशरूम में स्वाद, सुगंध, नाजुकता, प्रोटीन और विटामिन और खनिज लवणों की उच्च मात्रा जैसे सभी गुणों का अच्छा संयोजन देखने को मिलता है इस प्रकार से देखा जाए तो फिर यह सफेद बटन मशरूम से कहीं भी कम नहीं है।  इस प्रजाति को गर्म मशरूम के नाम से भी जाना जाता है। कारण यह है कि अन्य प्रजातियों की अपेक्षाकृत उच्च तापमान पर तेजी से बढ़ने वाला मसरूम है पैड़ीस्ट्रॉ मशरूम तीन से चार हफ्ते में पूरा तैयार हो जाता है भारत के उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, प्रदेशो में मुख्य रूप से उगाया जाता है।

इसकी खेती के लिए आवश्यक तापमान 30 डिग्री सेल्सियस आद्रता 60 से 70% की ज़रूरत होती है।

शिटाके मशरुम

यह एक विषेस गुणवत्ता वाला मसरूम है इसमें प्रोटीन व विटामिन भरपूर मात्रा में पाया जाता है मुख्य रूप से विटामिन B की प्रचुरता होती है शिटाके मसरूम में वसा व सरकरा नही पाया जाता है। इस प्रकार से यह मधुमेह व हृदय के रोगों से पीड़ित व्यक्तियों के लिए बेहद लाभकारी होता है। उत्पादन की दृष्टि से यह दुनिया मे दूसरे स्थान पर है जबकि पहले स्थान पर सफेद बटन मसरूम उगाया जाता है। इसे बहुत ही स्वादिष्ट और उच्च कोटि का मसरूम माना जाता है।

मसरूम की खेती करने की प्रक्रिया (Mushroom Ki Kheti Kaise Karen In India In Hindi)

यदि आप मशरूम की खेती करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको कई सारे चरण फॉलो करने पड़ेंगे जो कि नीचे दिए गए हैं।

कंपोस्ट खाद बनान

 मशरूम की खेती करने के लिए कंपोस्ट खाद की बेहद आवश्यकता होती है इसके लिए आपको धान अथवा गेहूं के भूसी की आवश्यकता पड़ेगी कई बार ऐसा होता है कि कंपोस्ट खाद में ही किणों का डर बना रहता है इसलिए इसमें कुछ कीटनाशक दवाओं का भी उपयोग करना पड़ता है किसके लिए 1500 लीटर पानी में डेढ़ किलोग्राम फॉर्मलीन व 150 ग्राम बेवस्टर  मिलाया जाता है अब इस घोल मे डेढ़ कुंटल भूसी को भिगो दिया जाता है इस प्रकार के भूसी का शुद्धिकरण कर लिया जाता है।

मशरूम की बुवाई

मशरूम की बुवाई करने के लिए भिगोए गए भूसे को बाहर निकाल कर के हवा में सुखा दिया जाता है ताकि उसमे बची नमी खत्म हो जाए नमी खत्म हो जाने के बाद प्लास्टिक के बैग को लेकर के उसमें थोड़ा सा भूसा भरा जाता है और फिर उसके ऊपर से मशरूम के बीज डाले जाते हैं इसके बाद ऊपर से फिर भूसा डाला जाता है तथा फिर उसके ऊपर से मशरूम का बीज डाला जाता है यह प्रक्रिया लगभग 4 बार दोहराई जाती है  ऐसा करने के बाद पॉलिथीन के दोनों कोनों पर छिद्र कर दिया जाता है ताकि भूसे में अगर थोड़ी बहुत पानी की मात्रा हो तो बाहर निकल जाए इसके बाद इन पॉलिथीन को ऐसी जगह पर रख दिया जाता है जहां हवा लगने की कोई संभावना ना हो।

मसरूम की कटाई

विशेषज्ञों के अनुसार आप मसरूम के फसल की कटाई 30 से 40 दिनों के बाद कर सकते हैं इसको काटने के लिए चाकू का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। जब इसको काटने की जरूरत हो तो जड़ से पकड़ कर थोड़ा सा मोड़ देने के बाद इसको खींच लिया जाता है उसके बाद भंडारण के लिए रेफ्रिजरेटर में रखा जा सकता है।

Mushroom cultivation in india

मशरूम की खेती के लिए प्रशिक्षण

यदि आप मशरूम की खेती करना चाहते हैं लेकिन आपको इसकी खेती के बारे में कुछ भी पता नहीं है तो लाजमी है कि आपको इसी प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी अगर आपको पहले से जानकारी है तो थोड़ी बहुत जानकारी के लिए आप अपने शहर के नजदीकी किसान सहायता केंद्र से सुझाव ले सकते हैं अन्यथा यदि आपको किसी भी प्रकार की कोई जानकारी नहीं है तो आपको कृषि विज्ञान केंद्र का दौरा करना पड़ेगा। जहां पर 14 दिन का ट्रेनिंग कोर्स आपको दिया जाएगा इसके अंतर्गत आपको मशरूम फार्मिंग के बारे में सारी जानकारियां दे दी जाएंगी। और आपका समय सीमा कंप्लीट होने के बाद आपको सर्टिफिकेट भी दे दिया जाएगा उल्लेखनीय है कि यदि आप कृषि विज्ञान केंद्र जाते हैं तो वहां सरकार की योजनाओं से जुड़ी सारी जानकारियां भी आपको दे दी जाती हैं तथा लोन व सब्सिडी के बारे में भी आपको प्रवीणता हासिल हो जाती हैं।

FAQs About Mushroom Ki Kheti Kaise Karen In India In Hindi

Q- 1. क्या मशरूम की खेती खुले खेतों में की जा सकती है?

Ans. मशरूम की खेती खुले खेतों में इसलिए नहीं की जा सकती है कि जब सूर्य की सीधी किरणें मशरूम पर पड़ती हैं। तो यह खराब हो जाता है इसके लिए आवश्यक होता है कि जहां भी हम मशरूम उगाना चाहते हैं वहां एक अस्थाई घर या झोपड़ी का निर्माण करने अथवा घर की तरह का कोई ऐसा ढांचा तैयार करलें जिससे सूर्य की किरणें सीधी मसरूम तक ना पहुंच पाए।

Q- 2.मशरूम को हवा से बचा कर रखना क्यों जरूरी है?

Ans. जिस पॉलिथीन के थैले में मशरूम को उगाया जाता है उसमें किसी भी प्रकार से अगर नमि प्रवेश कर जाए तो मशरूम खराब हो जाता है। जब हवा पॉलीथिन हवा के संपर्क में होता है तो संभावना यह होती है कि वह नवी के संपर्क में आ जाए और मशरूम खराब हो जाए इसलिए इसे हवा से बचा के रखा जाता है।

Q- 3.मशरूम की खेती के लिए सरकार कितनी सब्सिडी देती है ?

Ans. यदि आप मसरूम की खेती करना चाहते हैं तो आपको यह जानने की आवश्यकता व इच्छा होगी कि सरकार आपको कितना सब्सिडी देगी तो हम आपको बता दें की महिलाओं के लिए 50 परसेंट तथा पुरुषों के लिए 40 परसेंट सब्सिडी सरकार द्वारा दिया जाता है।

Q- 4.मशरूम की खेती किस महीने में शुरू की जाती है?

Ans. यदि हम सफेद बटन मशरूम वाले प्रजाति की बात करें तो इसकी खेती सितंबर माह में शुरू की जाती है तथा दूधिया मशरूम की खेती जुलाई माह में व आयस्टर मशरूम की खेती दिसंबर जनवरी माह में शुरू की जाती है।

Q- 5. स्पॉन क्या होता है?

Ans. मशरूम की खेती करने के लिए उपयोग में लाए जाने वाले बीज को स्पॉन कहा जाता है।

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