Harnaaz Kaur Sandhu Janm Kundali In Hindi

Harnaaz Kaur Sandhu Janam Kundali In Hindi

इस वर्ष 2021 को 70 वे मिस युनिवर्स पेजेंट का आयोजन इजरायल में दिसंबर माह में ही संपन्न हुआ है इस पेजेंट में भाग लेना ही काफी गौरवपूर्ण बात है भारत की ओर से इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाली हरनाज  संधू  ने भारत का नाम रोशन कर दिया है। क्योंकि भारत में अभी तक 3 महिलाओं को ही मिस यूनिवर्स का ताज पहनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है हरनाल संधू से पहले सुष्मिता सेन(1994) और लारा दत्ता (2000) ने  इस ताज को ग्रहण किया था। हरनाज संधू का जन्म 3 मार्च 2000 को चंडीगढ़ में हुआ था इनको बचपन से ही एक्टिंग का बहुत शोक था जिसके चलते इन्होने बहुत सी पंजाबी फिल्मो में काम भी किया है। 

 हरनाज संधू  सिख धर्म से नाता रखती है 2017 में इन्होने मिस चंडीगढ़ का ख़िताब अपने नाम किया और 2018 में इन्हे मिस मैक्स इमर्जिंग के ताजपोशी से सम्मानित किया गया। हरनाज को मॉडलिंग के साथ-साथ घर पर खाना बनाना, हॉर्स राइडिंग, स्विमिंग जैसी एक्टीविटीज करना बहुत पसंद है। इन्हे 2021 में भारत की डीवा मिस इंडिया भी चुना गया था जिसके बाद इजराइल में होने वाले मिस युनिवर्स के लिए भारत की और से प्रतिनिधित्व कर रही थी। 

Harnaaz Kaur Sandhu की Janam Kundali से जानिए उनका भविष्य 

हरनाज संधू की मकर राशि है इनका जन्म शुक्रवार के दिन त्रयोदशी की कृष्ण पक्ष में हुआ था जिस वजह से इनके आराध्य देव विष्णु माने जाते हैं वहीं की राशि मकर होने की वजह से इनका गुरु शनि देवे  को माना गया है। वहीं इनकी स्लोगन राशि कन्या है अभी इनकी कुंडली में मंगल दोष भी है क्योंकि इनके 7 वे ग्रह में मंगल बैठा हुआ है इस दोष  को मंगल का सबसे उच्चतम दोष माना जाता है। 

कुंडली में ग्रहों का विशेष संयोग 

भारतीय ज्योतिष में एक विशिष्ट तोर पर जाना जाता है  जिसे हम ज्योतिष योग के नाम से जानते है ग्रहो के एक विशेष स्थानों पर ये योग बनते है जो की एक निश्चित परिणाम देने में सक्षम होते है।  जन्म कुंडली में विभिन ग्रहों के आपस में सम्बन्ध या ग्रहो की स्थिति परिवर्तित रूप में कैसी है इसको हम वैदिक ज्योतिष में योग के नाम दे देते है। 

हर्नाज़ कौर संधू जन्म कुंडली चार्ट

जन्म तिथि का पंचांग

नक्षत्रश्रवण त्रितय चरण
वारशुक्रवार
तिथित्रयोदशी (कृष्ण पक्ष )
योगपरिघ
करणगर
विक्रम सम्वतमाघ 27, 2056
देवताविष्णु
पशु चिन्हबंदर
राशि का स्वामीशनि
लग्नकर्क
लग्न का स्वामीचंद्र
गणदेव गण
योनिपुरुष
गोत्रवशिष्ठ
भूतवायु
सूर्योदय06:27 AM
सूर्यास्त06:14 PM

हर्नाज़ कौर संधू जन्म कुंडली चार्ट

यह जन्म कुंडली, उत्तर भारतीय में प्रयुक्त होने वाली जन्म कुंडली है जिसमे १२ राशियां एवं राशियों में ग्रहो के स्थान के बारे में बताया गया है.

Harnaaz Kaur Sandhu Janam Kundali In Hindi
Harnaaz Kaur Sandhu Janam Kundali In Hindi

Kundali Chart Image Credit- Prokerala.com

कुंडली में विशेष और महत्वपूर्ण योग

गजकेसरी योग

गजकेसरी योग वाले जातकों को विशेष रूप से भाग्यशाली माना जाता है यह योग तब बनता है जब बृहस्पति और चंद्रमा एक साथ एक दूसरे से पहले, चौथे, सातवें और दसवें केंद्र में बैठे हो  ऐसा माना जाता है कि जो जातक इस योग में पैदा होता है उसमें हाथी जैसी बुद्धि और शेर जैसी वीरता मौजूद होती है। 

राजयोग 

जब दो या दो से अधिक ग्रह  एक दूसरे के साथ संबन्धित होते हैं तब राजयोग का निर्माण होता है  यह संबंध युति का हो सकता है, द्विदिशी दृष्टि अथवा राशि चक्र का हो सकता है।  राजयोग वाले जातक को सामाजिक प्रतिष्ठा और प्रसिद्धि सहज ही प्राप्त होती है  विभिन्न मुद्दों पर उनके प्रयासों के लिए उन्हे पहचाना जाता है। 

कुंडली में चंद्र पर आधारित योग

सुनफ़ योग

यदि सूर्य के अतिरिक्त कोई अन्य ग्रह चंद्रमा राशि से द्वितीय गृह में हो तो ऐसी जन्म कुंडली में सुनफ़ योग उत्पन्न होता है  यह योग सौभाग्य और संपत्ति देने वाला होता है  सामान्य रूप से ऐसे जातक शांतिप्रिय होते हैं और कला और संगीत जैसे क्षेत्रों में उनकी रूचि होती है। 

कुंडली में सूर्य पर आधारित योग

वेशी योग

जब बुध, शुक्र, मंगल, बृहस्पति या शनि सूर्य से द्वितीय गृह में होते हैं तो यह योग जातक की कुंडली में बनता है  इस योग में जन्म लेने वाले जातक लोगों के बीच भेद भाव नही करते है वे विशेष रूप से धार्मिक स्वभाव के होते हैं और सामान्यत निश्चिंत रहते हैं इनकी कुंडली में मंगल सूर्य से दूसरे गृह में हैं।

वासी योग

इस योग वाले जातकों को धन, वैभव और खुशी सहज ही प्राप्त हो जाती है इस योग में जन्मेजातकों का व्यक्तित्व आकर्षक होता है और वे प्रतिभाशाली, प्रखर बुद्धि वाले और परिश्रमी होते हैं किसी भी मुश्किल भरे काम को बड़ी आसानी से पूरा कर लेते है।  

उभयचारी योग

किसी की जन्म कुंडली में यह योग तब उपस्थित होता है जब सूर्य से द्वितीय और 12 वें गृह में राहू, केतू और चंद्रमा को छोडकर कोई अन्य ग्रह विधमान होते है  इस योग के जातकों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और वे मित्रो से घिरे रहते हैं। 

कुंडली में अशुभ योग

ग्रहण योग

ज्योतिष में ग्रहण योग को सबसे अधिक अशुभ योगों मे से एक माना गया है  ऐसा तब होता है जब सूर्य या चंद्रमा किसी जन्म कुंडली में या तो राहू या केतू के साथ होते हैं।  ग्रहण योग से जो जो गृह प्रभावित होते हैं, उनके आधार पर जीवन के विभिन्न क्षेत्रों पर इसका प्रभाव पड़ता है।  ऐसे जातक वादे कम ही निभाते हैं और अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ने का रास्ता ढूंढते रहते हैं इस प्रकार का व्यवहार अंतत: उनके स्वभाव का हिस्सा ही बन जाता है। 

कुज योग

कुज योग को मंगल दोष और मांगलिक दोष के नाम से भी जाना जाता है और यह तब निर्मित होता है जब किसी चार्ट में मंगल पहले, चौथे, सातवें, आठवें अथवा बारहवें गृह में हो।  मंगल देवता को प्रसन्न करने के लिए कुछ उपाय निम्नलिखित हैं – जब दो कुज दोष वाले लोग आपस में विवाह करते हैं तो कुज दोष का नकारात्मक प्रभाव समाप्त हो जाता है।  नवग्रह मंत्र जाप, गायत्री मंत्र का जाप, हनुमान चालीसा का जाप और ध्यान करने से काफी लाभ मिलता है। मंगलवार को हनुमानजी की पूजा करने और हनुमानजी के मंदिर में जाने से मंगल दोष काफी हद तक कम हो जाता है मंगलवार का व्रत करने से भी कही ना कही जातक को अपने जीवन में फायदा देखने को मिलता है।

हालंकि इस योग के जातको को अपने जीवन में पैसो की तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है लेकिन उनके विवाह में यह दोष काफ़ी बाधक सिद्ध होता है भारतीय शास्त्र के अनुसार 28 वर्ष के बाद इस दोष से जातक को मुक्ति मिल जाती है इससे पहले इसका इसे दूर करने का कोई उपाय नहीं है। 

नोट:- ऊपर दी गयी कर्नाज़ कौर संधू की जन्म कुंडली ऑनलाइन उपस्थित जानकारी के आधार पर ऑनलाइन कुंडली सॉफ्टवेयर के माध्यम से बनायीं गयी है. हम इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करते और ना ही इसे प्रमाणित करते हैं.

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